कोरोना टीके को लेकर बिहार झारखण्ड के 200 से ज्यादा कैडरों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया

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पटना, 9 दिसम्बर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखण्ड के निदेशक रविशंकर शुक्ला ने कोरोना टीका पर विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और यूएनडीपी द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहा कि कोरोना के विरुद्ध भारत की लड़ाई में टीका, टीकाकरण के बाद के प्रभाव, निगरानी से लेकर मीडिया की भागीदारी और संचार का अहम योगदान है. पूर्व में भी, देश भर में पोलियो व खसरा के सफलतापूर्वक टीके देने में संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं का अहम योगदान रहा है.

केंद्र सरकार द्वारा की गई की घोषणा के बाद कोरोना टीका को बांटने की तैयारियां शुरू हो चुकी है. डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ और यूएनडीपी ने आने वाले समय में टीकों को लोगों तक आसानी से पहुँचाने के लिए सरकार को मदद करने का पूर्ण विश्वास दिलाया है. इसकी तैयारियों के लिए डब्ल्यूएचओ विभिन्न स्तर पर कोरोना टीके पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन कर रहा है. इसी क्रम में मंगलवार को बिहार और झारखण्ड में एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया. राज्य टीकाकरण पदाधिकारी डॉ एन. के. सिन्हा ने कहा कि बिहार में कोरोना टीके पाने वाले लोगों की सूची बननी शुरू हो चुकी है और अलग-अलग श्रेणी के लोगों को टीके दिए जाएंगे.

यूनिसेफ बिहार के प्रमुख असद्दुर रहमान ने कहा कि टीके तीन चरणों में दिए जाएंगे. पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों, दूसरे चरण में होम गार्ड तथा पुलिसकर्मी और पंचायत कर्मी और तीसरे चरण में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को टीके दिए जाएंगे.

डब्ल्यूएचओ के बिहार क्षेत्र के रीजनल टीम लीडर डॉ बी. पी. सुब्रमन्या ने राज्य में कोरोना की स्थिति और दुनिया भर के अलग-अलग देशों में चल रहे कोरोना के टीके की ट्रायल के बारे में बताया. उन्होंने भारत सरकार द्वारा स्वीकृत ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा ज़ेनेका के कोविशिल्ड, भारत बायो टेक के कोवैक्सीन और रूस के स्पुतनिक पांच के बारे में विस्तार से बताया.

यूनिसेफ बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ सैयद हुबे अली ने कहा कि बिहार में ठीक होने की दर 97 फीसदी और मृत्यु दर 0.5 फीसदी से कम है. बिहार सरकार टीके की संग्रहण क्षमता को बढ़ा रही है. कोरोना के टीके राज्य भर के 764 कोल्ड चेन पॉइंट्स में संग्रहित किए जाएंगे.
यूनिसेफ झारखण्ड के प्रमुख प्रशांता दास ने अपने वक्तव्य में झारखण्ड सरकार को सभी लाभार्थियों को कोरोना टीका देने हेतु यूनिसेफ द्वारा हर संभव सहायता प्रदान करने का विश्वास दिलाया.
कोविन सॉफ्टवेर के बारे में बताते हुए यूएनडीपी, नई दिल्ली की इआना लाम्बा ने कहा कि इससे राज्यवार कोविड टीकाकरण सत्र, विभागवार लाभार्थियों की सूची, राज्यवार टीकाकरण की स्थिति पर नज़र बनाए रखने में मदद मिलेगी. कोविन एप से टीकाकरण के दौरान टीके देने वाले एईएफआई के बारे में भी सूचित कर सकते हैं.

संचार की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए यूनिसेफ झारखण्ड के सीफॉरडी विशेषज्ञ दानिश खान और सोनिया मेनन ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोगों की सहभागिता के लिए विभिन्न संचार माध्यमों जैसे सोशल मीडिया, वॉल्यून्टीयर्स, सीएससो पार्टनर्स और मीडिया की भूमिका के बारे में बताया.

यूनिसेफ बिहार की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान यूनिसेफ समर्थित बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन द्वारा आम लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोगों को कोरोना का टीकाकरण के बारे में जागरूक करने में धार्मिक गुरुओं और सोशल मीडिया इन्फ़्लुएनर्स के साथ स्थानीय मीडिया का भी अहम योगदान है. सकारात्मक और जागरूकता फैलाने वाली ख़बरें मीडिया के साथ साझा करनी चाहिए जिससे कोरोना के टीके से जुड़े भ्रम को ख़त्म करने में मदद मिलेगी.

डब्ल्यूएचओ बिहार के रीजनल टीम लीडर डॉ उज्ज्वल सिन्हा ने कार्यक्रम प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया. डब्ल्यूएचओ झारखण्ड के रीजनल टीम लीडर डॉ अमरेन्द्र कुमार ने टीके की महत्ता और टीकाकरण के बाद जनित अपशिष्ट पदार्थों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चर्चा की.

यूनिसेफ बिहार की रेखा राज ने अपने प्रस्तुतिकरण में विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों के बीच जरूरी समन्वय स्थापित करने पर प्रकाश डाला.
पूरे देश में यूनिसेफ, विश्व स्वस्थ संगठन और यूएनडीपी के द्वारा राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर के लगभग 2,000 कैडरों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.

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