क्या हैं असर रिर्पोट
हर साल आने वाली असर रिर्पोट 2005 से बच्चों के स्कूलों में नामांकन, बुनियादी सीखने-समझने और गणित के सवालों की क्षमता के बारे में बताता रहा है। 2005 से 2016 तक असर रिर्पोट 5 से 14 साल के बच्चों पर केंद्रित रहा है। 2017 का रिर्पोट 14 से 18 साल तक के किशोर-किशोरियों पर केंद्रित था जिन्होनें प्राथमिक शिक्षा की उम्र पार कर ली हो ।
प्रथम के द्वारा आयोजित असर 2017, भारत के 24 राज्यों के कुल 28 जिलों में किया गया। 35 सहभागी संस्थाओं के 2000 से ज्यादा लोगों ने इस दौरान 30,000 से अधिक युवाओं का सर्वेक्षण किया। बिहार से इस सर्वे में मुज्फफरपुर जिले को शामिल किया गया था।
मुख्य निष्कर्ष
- औपचारिक शिक्षा प्रणाली में लड़के और लडकियों के नामांकन में अंतर आयु के साथ बढ़ता जाता है। 14 वर्ष तक इनमें ज्यादा अंतर नहीं पर 18 वर्ष में 28 % लडकों की तुलना में 32 % लड़कियां नामांकित नहीं है।
- आयु के साथ ऐसे युवाओं का प्रतिशत बढ़ता जाता हैं जो कहीं भी नहीं पढ़ रहे हैं। 14 साल तक केवल ऐसे युवाओं की संख्या 5 % है जबकि 18 साल की आयु तक यह 30 % हो जाता है।
- वैसे भारत की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, 2011 में 18 वर्ष तक आयु के 56% युवा किसी भी शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित नहीं थे। 2001 के जनगणना में यह आंकड़ा 74% था।
- लगभग 5% युवा किसी प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें स्कूल या कॉलेज में नामांकित और नहीं नामांकित बच्चे भी शामिल हैं
- 14-18 आयु वर्ग के युवाओं की बुनियादी क्षमताएं चिंताजनक है। लगभग 25% युवा अभी भी अपनी भाषा में एक सरल पाठ को धाराप्रवाह रूप से नहीं पढ़ सकते।
- 14-18 आयु वर्ग के लगभग 44% युवा ऐसे है जिनकी माता कभी स्कूल नहीं गई । 25% ऐसे है जिनके पिता कभी स्कूल नहीं गए और 20% ऐसे युवा हैं जिनके माता-पिता दोनों कभी स्कूल नहीं गए।
- भारत की राजधानी का सही उत्तर सभी बच्चों में केवल 64 प्रतिशत ही दे सकें। वहीं 21 प्रतिशत युवा ऐसे थे जिन्हें अपने राज्य का नाम नहीं पता था।
- लगभग 5% युवा किसी प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें स्कूल या कॉलेज में नामांकित और नहीं नामांकित बच्चे भी शामिल हैं
- 14-18 आयु समूह में युवाओं का बड़ा अनुपात (42%) काम कर रहा है, भले ही वे औपचारिक शिक्षा में नामांकित हों या नहीं।जो काम करते हैं, उनमें से 79% कृषि में काम करते हैं।
- (3 अंकों से 1 अंक के भाग देने में केवल 43% युवा ही सक्षम पाए गए।
- घड़ी में समय देखना एक सामान्य दैनिक गतिविधि है। लगभग 83 % ने घंटों में समय को सही बताया जबकि घंटे और मिनट में सही समय बताने वालों का प्रतिशत 60 से भी कम था।
- जब स्केल ‘0’ चिह्न पर रखा गया था तो 86% युवाओं ने वस्तु की लंबाई की सही गणना की पर जब वस्तु को स्केल पर कहीं और रखा गया तो केवल 40% युवा ही सही उत्तर दे सके।
- युवाओं में इंटरनेट और मोबाईल का प्रयोग
- 14-18 आयु वर्ग में मोबाइल फोन का उपयोग व्यापक है । इस आयु वर्ग में 73% युवाओं ने पिछले 1 सप्ताह के भीतर मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था। वही 18 साल आयु के 82 प्रतिशत ने एक सप्ताह के अंदर मोबाईल का प्रयोग किया था।
- असर के आंकड़ों में मोबाईल के प्रयोग में महत्वपूर्ण लिंग अंतर दिखाई दे रहा हैं। केवल 12% लड़कों ने कभी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया था जबकि ऐसी लडकियों की संख्या 22 % से ज्यादा है।
- लेकिन इन युवा लोगों में , इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत कम था। पिछले 1 हफ्ते में 28% ने इंटरनेट का इस्तेमाल किया था और 26 % ने कंप्यूटर का इस्तेमाल किया था
- 59% युवाओं ने कभी कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं किया था और 64% ने कभी भी इंटरनेट इस्तेमाल नहीं किया था।