ऑफ करना सीख लो, नहीं तो खुद ऑफ हो जाओगे
पांचवें बिहार डॉयलॉग में हुई साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल हाइजीन पर चर्चा
साइबर क्राइम और डिजिटल हाईजीन एक ऐसा मुद्दा है जो सबको प्रभावित करता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर होता है। इसी को ध्यान में रख कर पांचवे बिहार डायलॉग का आयोजन इस संवेदनशील मुद्दे पर किया गया जो आपको, हमको और हमारे बच्चों को प्रभावित कर रहा है। ‘इंटरनेट क्रांति ने हमें एक अलग किस्म का इंसान बना दिया है, हम वर्चुअल वर्ल्ड में तो शेर बन जाते हैं, मगर असली दुनिया का सामना करते ही कांपने लगते हैं. इंटरनेट ने एक ओर तो हमें पूरी दुनिया से जोड़ा है. एक ही परिवार के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले लोगों को एक साथ जुड़ने का ऑप्शन दिया है, वहीं एक घर में रहने वाले लोगों को अपनों के बीच अकेला बना दिया है. हम अगर आज साइबर दुनिया के खतरों के शिकार हो रहे हैं तो उसके पीछे हमारी लालच की भी कम बड़ी भूमिका नहीं है. अगर इन खतरों से खुद को और अगली पीढ़ी को बचाना चाहते हैं तो स्मार्ट फोन को बीच-बीच में ऑफ करना सीखिये. असली दुनिया के पड़ोसियों से मिलना सीखिये. नहीं तो एक दिन खुद ऑफ हो जायेंगे और मनोचिकित्सकों की शरण लेनी पड़ेगी.’ यह बात जाने-माने मनोचिकित्सक एवं लेखक विनय कुमार ने कही. वे पटना म्यूजियम में आयोजित पांचवें बिहार डॉयलॉग को संबोधित कर रहे थे. इंडियन ऑयल के सहयोग से आयोजित इस डॉयलॉग का विषय था, साइबर क्राइम और डिजिटल हाइजीन.
इस विषय पर जहां विनय कुमार से श्रोताओं को नेट की दुनिया से समुचित दूरी बनाकर रखने कहा, वहीं एसटीएफ के अधिकारी और साइबर एक्सपर्ट नीलेश कुमार ने बताया कि साइबर क्राइम की दुनिया लगातार बड़ी हो रही है. सबसे खतरनाक बात यह है कि इसका न कोई डाइमेंशन है और न ही मैग्नीच्यूड. अमेरिका में बैठा व्यक्ति भी भारत के किसी बैंक की सभी शाखाओं को एक झटके में लूट सकता है. इसलिए हमें इस जटिल समस्या से निबटने के लिए नये तरीकों से
लैस होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश में 65 प्रतिशत युवा हैं और 34 प्रतिशत लोग नेटीज़न्स हैं जो ज्यादातर साइबर क्राइम के विषय में डिजिटल हाइजीन न होने की वजह से शिकार होते हैं.
बिहार साइबर सेल के हेड सुशील कुमार ने तरह-तरह के एप के खतरों को लेकर लोगों को आगाह किया. उन्होंने बताया कि ट्रू कॉलर सबसे खतरनाक एप्स में से एक है, कोई भी साइबर एक्सपर्ट अपने फोन में इस एप को नहीं रखता है. क्योंकि यह एप सबसे पहले आपके आंकड़े को बेचता है. उन्होंने आंकड़ों के जरिये साइबर क्राइम के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया. भारत में साइबर समस्या से जूझने के लिए डिजिटल लिटरेसी की आवश्यकता है और सरकारें बिग डाटा एनालिटिक्स जैसी सुधारवादी चीजों पर काम कर रही है. साथ ही उन्होंने युवाओं को हिदायत दी कि सोशल मीडिया पर अत्यधिक जानकारियाँ साझा करने से बचें.
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अंशुमान सिन्हा ने साइबर जालसाजी, हैकिंग के संबंध में बताते हुए कहा कि
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में लगातार सुधारों के साथ भारत सरकार अश्लीलता, लिंचिंग और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर लगाम कसने के प्रयास करती है.
रेडियो मिर्ची के कार्यक्रम प्रमुख और तकनीकी विशेषज्ञ संदीप पांडे ने साइबर क्राइम के शिकार होने से बचने के लिए गाँधीवाद के सिद्धांतों का प्रयोग करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि गाँधी के बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो की नीति अपनाते हुए साइबर संसार में चीजों का आकलन करें.
इन वक्तव्यों के दौरान और बाद में भी श्रोताओं ने इंटरनेट एडिक्शन, साइबर क्राइम के खतरे और डिजिटल हाइजीन से जुड़े मुद्दों पर जमकर सवाल किये. वक्ताओं ने भी उनका बखूबी जवाब दिया. इस डॉयलॉग का संचालन एक्शन मीडिया से जुड़ी मधुरिमा राज ने किया. एक्शन मीडिया के आनंद ने कार्यक्रम का बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया. इंडियन ऑयल की मुख्य प्रबंधक ने अतिथियों को पौधा देकर उनका स्वागत किया . धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उन्होंने एक्शन मीडिया के इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि साइबर क्राइम जैसे मुद्दे आज हम सब की फौरी जरुरत है. बिहार डायलाग जैसे आयोजन इस विषय के बारे में लोगो को जागरूक करने में कारगर साबित होंगे. इस अवसर पर एक्शन मीडिया की निदेशक स्वाति सिंह के साथ ही इंडियन आयल के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे.