पटना, 7 अक्टूबर, 2020 : राज्य के प्रमुख सिविल सोसाइटी संगठनों और विभिन्न नागरिक समूहों ने “बोलेगा बिहार, अक्षय ऊर्जा इस बार” सिटीजन कैंपेन के तहत बिहार विधानसभा चुनाव के सन्दर्भ में आज क्लाइमेट जन घोषणापत्र का विमोचन किया, जिसका मकसद राज्य में जलवायु परिवर्तन के संकट के समाधान के लिए लोगों की आकांक्षाओं और मांगों को सामने लाना और उन पर राजनीतिक सहमति हासिल करना है. यह जन घोषणापत्र कई चर्चाओं-बैठकों में सहभागितापूर्ण और व्यापक बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है. इसमें किसानों, श्रमिकों, महिलाओं, युवाओं, पंचायत प्रतिनिधियों, मुखिया, विधायक, सांसद एवं प्रमुख पार्टियों के प्रवक्तागण, डॉक्टर्स, वकीलों, पत्रकारों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों समेत हरेक क्षेत्र एवं तबके के लोगों की सक्रिय भागीदारी रही है. इस मैनिफेस्टो का मुख्य उद्देश्य नीति-निर्माताओं से जलवायु परिवर्तन के संकट से निबटने में सक्षम अर्थव्यवस्था के लिए ठोस कदम उठाने की अपील करना है, ताकि कोविड-19 महामारी और जलवायु संकट के समय अक्षय ऊर्जा समाधानों के जरिए स्वास्थ्य संरचनाओं को मजबूत और कृषकों का सशक्तिकरण करते हुए आम जनता की जीवन-गुणवत्ता बेहतर की जा सके.
विमोचन के इस अवसर पर सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि “बिहार बदलाव की दहलीज पर खड़ा है और सभी राजनीतिक दलों के लिए यह समय आम सहमति बनाते हुए बेहतर बिहार बनाने के संकल्प लेने का है. यह चुनाव कई अर्थों में खास है, एक तो कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित संकट और दूसरे, राज्य में जलवायु परिवर्तन के विध्वंसकारी परिणामों के बीच विधानसभा चुनाव आयोजित हो रहे हैं. क्लाइमेट संकट के उपायों से संबंधित लोगों की मांगों को सामने लाने का यह सही वक्त है, साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी उपयुक्त समय है कि अक्षय ऊर्जा आधारित क्लाइमेट समाधान सभी राजनीतिक दलों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बने.” श्री कुमार ने आगे कहा कि बिहार की जनता अपने नेताओं से क्लाइमेट सोल्यूशंस पर नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने की उम्मीद कर रही है, ताकि बिहार को खुशहाली और समृद्धि की राह पर ले जाया जा सके.
इस जन घोषणापत्र में जिन प्रमुख उपायों को अपनाने की प्राथमिकता दी गयी है, उनमें विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डिसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी – डीआरई) के व्यापक विस्तार के लिए एक डीआरई मिशन, वायु प्रदूषण को समाप्त करने के लिए ‘क्लीन एयर मिशन’, कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य क्षेत्र के पूरे वैल्यू चेन को मजबूत करने के लिए क्रमशः ‘सोलराइजेसन ऑफ़ एग्रीकल्चर’ और ‘सोलर फॉर हेल्थ केयर’ कार्यक्रम, बाढ़ और सुखाड़ से मुक्ति के लिए विशेष मिशन, जल संकट एवं इसके प्रदूषण के निदान के लिए पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार और हानिकारक कूड़ा/अपशिष्ट के समाधान जैसे मुद्दों पर खास नीतिगत पहल लेना प्रमुख हैं.
सिविल सोसाइटी संगठनों की तरफ से बात रखते हुए महिला उद्योग संघ की प्रेसिडेंट श्रीमती उषा झा ने कहा कि “मैनिफेस्टो केवल वायदों की सूची नहीं होता, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट है, जिसके जरिए वे लोगों का समर्थन हासिल करते हैं. समाज के हर तबके और विभिन्न संगठनों ने क्लाइमेट जन घोषणापत्र जारी करके अपनी आकांक्षाओं को सामने रख दिया है, जो वर्तमान विकास के ढांचे में बदलाव लाते हुए स्वच्छ और सततशील समाधानों के जरिए बिहार के पुराने गौरव को पुनर्स्थापित करने पर जोर देता है.”
इस मौके पर कौशल्या फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री कौशलेन्द्र ने कहा कि “हमारा दृढ़ विश्वास है कि सभी नेताओं को वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठ कर खेती-किसानी पर मंडराए संकट का समाधान जलवायु अनुकूल कृषि और अक्षय ऊर्जा पर आधारित नीति के जरिए निकालना चाहिए, ताकि जनता की आकांक्षाओं को सही अर्थों में पूरा किया जा सके.”
“बोलेगा बिहार, अक्षय ऊर्जा इस बार” एक जन अभियान है, जो राज्य के प्रतिष्ठित सिविल सोसाइटी संगठनों के द्वारा अक्षय ऊर्जा पर जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य के साथ चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत किसान चर्चा, स्वास्थ्य पे चर्चा, टाउन हाल मीटिंग, सोलर संवाद यात्रा और जन स्वास्थ्य सुनवाई आदि विविध कार्यक्रमों के जरिये विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा जैसे क्लाइमेट समाधानों पर राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि एक समृद्ध और खुशहाल बिहार का निर्माण किया जा सके.