किडनी के मरीज भोजन में प्रोटीन को शामिल करें और सोडियम, फॉस्फोरस की मात्रा कम करें

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मोनू कुमार, पटना: किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के द्वारा बाहर निकालता है. अगर किडनी ख़राब हो जाये तो किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत पड़ती है. लेकिन डोनर मिलने में काफ़ी समय लगता है. ऐसे में डायलिसिस ही एक मात्र उपाय होता है. डायलिसिस के बारे में हमने बात कि आईजीआईएमएस के पूर्व निदेशक और वर्तमान में मेडीपार्क हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अरुण कुमार से-

मेडीपार्क हॉस्पिटल में सबसे सस्ता डायलिसिस

किडनी ख़राब होने पर डायलिसिस कराना आवश्यक होता है क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डोनर जल्दी नही मिलता. यह एक जिंदगी बचाने वाली प्रक्रिया है. पटना में सबसे सस्ता डायलिसिस मेडीपार्क हॉस्पिटल में किया जाता है. इसके पीछे का कारण बताते हुए हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अरुण कुमार ने कहा कि, “हमारे यहाँ डायलिसिस ‘नो प्रॉफिट’ के सिद्धांत पर किया जाता है. इसलिए हमारे यहाँ डायलिसिस की सुविधा सबसे कम कीमत पर उपलब्ध है.”

किडनी के मरीजों का भोजन

डॉ अरुण कुमार ने बताया कि किडनी के मरीजों के खाने में सोडियम और फॉस्फोरस की मात्रा कम होनी चाहिए. मरीजों को भोजन में नमक, आलू, केला कम से कम खाना चाहिए तथा खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिए क्योंकि डायलिसिस में प्रोटीन की कमी हो जाती है. इसलिए पनीर, सोयाबीन, अंडा, मछली को भोजन में शामिल करना चाहिए. जहाँ तक सवाल हरी सब्जी का है तो परवल, भिन्डी, नेनुआ, बैंगन, करेला खा सकते है लेकिन जिन सब्जियों में फॉस्फोरस की मात्रा ज्यादा होती है जैसे कद्दू, खीरा से परहेज करना चाहिए.

किडनी ख़राब होने के लक्षण

किडनी ख़राब होने के शुरूआती लक्षणों में भूख कम लगना, सुबह में मिचली आना और उल्टी होना, पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना आदि है.

दो डायलिसिस के बीच का समयांतर

दो डायलिसिस के बीच के अंतर का कोई तय मानक नहीं है. इसका निर्धारण मरीज की हालत के आधार पर चिकित्सक द्वारा किया जाता है. किसी मरीज को सप्ताह में दो दिन तो किसी को तीन दिन डायलिसिस की जरुरत पड़ती है.

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