पटना, 27 जुलाई। बिहार सरकार में कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बिहार के कई हिस्सों में आए बाढ़ को लेकर कहा कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ हर साल कुछ हिस्से बाढ़ से जरूर प्रभावित होते हैं। इस साल बाढ़ आपदा प्रबंधन विभाग ने इसकी तैयारी पहले से कर रखी है तथा मुलभुत सारी सुविधाएं तथा व्यवस्था उपलब्ध करवाई गयी हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में इंसानों के साथ-साथ पशुओं के रहने के लिए भी अलग से व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा बाढ़ के दौरान पशुपालकों को कम से कम परेशानी हो, इसको लेकर पशुपालन विभाग ने आवश्यक तैयारी शुरु कर दी है।
कृषि मंत्री ने कहा “पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, खगड़िया, प.चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, किशनगंज, सुपौल एवं सारण, ग्यारह ऐसे ज़िले से जो तत्काल बाढ़ से प्रभावित हैं। इन प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ सहायक हेतु चयनित पशु शिविरों की संख्या कुल 426 है तथा कार्यरत बाढ़ सहाय्य शिविरों की संख्या 8 है। इसके साथ ही कुल 215455 पशुओं में अब तक 1442 शिविर में पहुंचाए जा चुके हैं, साथ ही 33,282 पशुओं को अन्य स्थानों पर विभागीय देखरेख में रखा गया है। सभी को चारा, दवा व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में पशुचारा, दवा, एम्बुलेंस तथा पशु चिकित्सकों की तैनाती की गई है।
डॉ कुमार ने कहा, “यथासंभव हम पशुओं को मदद पहुंचाने की कोशिश में लगे हुए है। पशुओं के लिए आज तक सूखा चारा के रूप में 188 क्विंटल भूसा वितरित हो चूका है। मैं बता दूँ कि बाढ़ राहत कार्यो में प्रतिनियुक्त पशु चिकित्सकों की संख्या 116 है जबकि बाढ़ राहत कार्यों में प्रतिनियुक्त कर्मचारियों की संख्या 167 है। कुल 12069 पशुओं में से 2071 का इलाज शिविर में जारी है जबकि 9996 का शिविर से बाहर इलाज चल रहा है। हालाँकि अभीतक खगड़िया से एक पशु के मृत होने की खबर आयी है।”
कृषि मंत्री ने कहा “यही आज से 15 साल पहले जब इन्हीं हिस्सों में बाढ़ आता था तो पशुओं की बात तो दूर नेता इंसानों का भी हाल-चाल लेने नहीं पहुँचते थे। तेजस्वी जी आजकल खूब बाढ़ ग्रसित इलाको में घूम रहे हैं पर क्या उन्होंने वहां फंसे लोगो को एक भी नाव की सुविधा उपलब्ध करवाई? फोटो लेने के बदले अगर चार लोगों को भरपेट भोजन भी उपलब्ध करवाए होते तो यह एक सकात्मक राजनीति होती, लेकिन बिहार का विपक्ष बिलकुल खोखला हो गया है। इन्हें अब बस सिर्फ वोट की चिंता है जबकि एनडीए सरकार को वोट नहीं बल्कि वोटरों की चिंता है।”