आंकड़े हैं जरूरी
समाज के सभी पहलुओं/वर्गों का विश्लेषण करने, सरकारी योजनाओं की सफलताओं को मापने, मानव विकास सूचकांकों की प्रगति को मापने, नीति-निर्माताओं को नीति निर्माण करने और अवसरों को पहचानने में आंकड़े काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
आंकड़ों के माध्यम से हम बच्चों, महिलाओं और समाज के वंचित तबकों के हालात को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं साथ ही उन कमियों को भी रेखांकित कर सकते जो उनके बेहतर और समग्र विकास के आवश्यक है।
मीडिया और आंकडे
पिछले 15 वर्षों में मीडिया के स्वरूप में बहुत तेज बदलाव देखने को मिला है। सूचना क्रांति एवं तकनीकी विस्तार के चलते मीडिया की पहुंच व्यापक हुई है। विकास के मुददों पर चर्चा करने और उनके मुद्दों को उठाने मीडिया, महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ।
मीडिया के लिए आंकड़े एक खिड़की की तरह है जो आपके लिए खबरों/कहानियों की संभावनाएं विकसित करती हैं। डेटा, पत्रकारों को एक आयाम देती हैं कि वो जैसे चाहे अपनी कहानी को बुन सकें। एक पत्रकार को पता होना चाहिए कि डेटा से एक कहानी कैसे खोजना है और उसका विश्लेषण कैसे करना है।
बाल लिंग अनुपात या लड़की को गर्भ में ही खत्म करने संबंधित रिपोर्ट, विश्लेषण या विस्तृत फीचर भी सामान्य समय में समाचार कक्ष की पसंद नही बन पाते क्योंकि उस के लिए जनगणनाओं के आंकडों की समझ बनाना फिर उसे सरल ढंग से विश्लेषित करना और उसके साथ उसे रूचिकर बनाना किसी भी रिपोर्टर के लिए आसान नहीं होता।
डेटा पत्रकारिता है भविष्य
डेटा आधारित पत्रकारिता आने वाला भविष्य है । पत्रकारों का डेटा-सेवी होना उनके प्रोफेशलन में मददगार साबित होगा। डेटा पत्रकारिता समाचार संगठनों के लिए दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक होती हैं एक तो अनोखी कहानियों को खोजने में और दूसरा अपने वॉचडॉग की भूमिका को निभाने में ।